Cryptocurrency Prices Factors Affecting Bitcoin Hindi : क्रिप्टोकरेंसी मे तेजी से उतार चढ़ाव कैसे होता रहता है। जानिए इससे जुड़े कुछ फेक्ट के बारे मे

बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट वैल्यू पिछले दो से तीन वर्षों मे तेजी से बढ़ा है। जिसके कारण दुनिया मे क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की लोकप्रियता भी लगातार बढ़ती जा रही है। इस मामले मे इंडिया भी पीछे नहीं है। यहा पर भी इसके यूजर्स दिन प्रतिदिन बढ़ रहे है।
एक रिपोर्ट के अनुसार इंडिया मे क्रिप्टो करेंसी का मार्केट पिछले एक से दो वर्षों मे बीस करोड़ डॉलर से बढ़कर तकरीबन 40 से 25 अरब डॉलर के पास पहुच गया है। बिटकॉइन के अलावा भी कई ऐसी करेंसी है जिनकी लोकप्रियता भी धीरे धीरे बढ़ रही है। जैसे कि Dogecoin, Ethereum, XRP, Tether और Cardano
इस करेंसी मे जितनी तेजी से ग्राफ बढ़त है तो उतनी ही तेजी से गिरता भी हैलेकिन अब सवाल है कि किन स्तिथियों मे इसका ग्राफ गिरता और बढ़ता है। इस लेख मे हम आपको क्रिप्टो करेंसी से जुड़े हुए इसी प्रकार के सवालों के बारे मे जानकारी देने वाले है। इसलिए इस लेख को पूरा पढे। इस लेख मे हम आपको बताने वाले है कि क्यों क्रिप्टो करेंसी की कीमते तेजी से गिरती और बढ़ती रहती है। ताकि क्रिप्टो निवेशक पहले ही सावधान हो सके।
जैसे कि हम आपको पहले ही बता चुके है कि क्रिप्टो करेंसी की बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखते हुए इंडिया मे भी इसके निवेशक तेजी से बढ़ रहे है। जिसके कारण उन्हे इससे अच्छा रिटर्न भी मिला है। लेकिन वर्ष के शुरुआत मे इसका मार्केट एकदम तेजी से नीचे गिरा था। जिसके कारण काफी निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। उसके बाद अक्टूबर में बिटकॉइन का मार्केट बढ़ा था। लेकिन उसके बाद फिर से इसकी कीमतों मे लगातार गिरावट देखने को को मिल रही है।
क्रिप्टोकरेंसी इतनी अस्थिर क्यों होती हैं?
मार्केट के हिसाब से वर्तमान मे क्रिप्टोकरेंसी अभी एक नई करेंसी है। जिसके उतार चढ़ाव के बारे मे अभी इतना अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि ये किस प्रकार से कार्य करती है। इस करेंसी मे निवेश करके निवेशक इसके उतार चढ़ाव के बारे मे रिसर्च कर रहे है ।
कि इस करेंसी का मार्केट किस प्रकार से काम करता है।
यह कैसे काम करता हैं
देश दुनिया के क्रिप्टो एक्सपर्ट्स के अनुसार बिटकॉइन एक वर्चुअल करेंसी है जो ब्लॉकचेन तकनीक पर कार्य करती है। जिनकी कीमते बनाने और बढ़ाने के लिए डिजाइन की गई है। जिसके कारण लोगों को पैसों के लेनदेन के लिए बैंकों में जाने की जरूरत नहीं है।
अगर किसी के पास होल्डर के पास बिटकॉइन करेंसी है। तो उसकी कीमत और वैल्यू वैसे ही मानी जाएगी जैसे कि ईटीएफ में गोल्ड की होती है। बिटकॉइन निवेशक इसके जरिए शॉपिंग भी कर सकते है या इसे होल्ड करके भी रख सकते है। ताकि भविष्य में सेल करके इसके जरिए कमाई कर सके।
करेंसी की उपयोगिता कितनी है.
दूसरी करेंसी की तरह क्रिप्टो करेंसी की उपयोगिता भी इस बात पर निर्भर करती है कि उस करेंसी का कितने लोग किस प्रकार से इस्तेमाल करते है । अगर निवेशक बिटकॉइन क्रिप्टो करेंसी को होल्ड करने के बजाए उसे अलग अलग तरीकों से खर्च करते है तो उसकी मार्केट मे कीमतें बढ़ेगी।
यही कारण है धीरे धीरे कंपनिया,बड़े रेस्टोरेंट , शॉपिंग स्टोर ने बिटकॉइन क्रिप्टो करेंसी से पेमेंट लेना शुरू कर दिया है। जिसके कारण इस करेंसी की उपयोगिता बढ़ेगी तो उसकी कीमतों मे उछाल आएगा।
कितने कॉइन्स सर्कुलेशन में हैं
क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर भी इसके उतार चढ़ाव की कुछ लिमिट तय होती है। बिटकॉइन को डेवलप करते समय ही ये इसकी कंडीशन मे ये बात तय कर दी गई थी । कि दुनिया मे 21 मिलियन बिटकॉइन ही जनरेट किये जा सकेंगे। जिसके कारण बिटकॉइन निवेशकों की संख्या जिनती ज्यादा बढ़ेगी । तो बिटकॉइन की उपलब्धता मे कमी आएगी। जिसके कारण बिटकॉइन की कीमतों मे उछाल आएगा।
बिटकॉइन के अलावा भी कुछ क्रिप्टो करेंसी ऐसी भी है जो बर्निंग मैकेनिज्म पर काम करती है। यानि कि किसी भी करेंसी कॉइन की वैल्यू को बढ़ाने के लिए सप्लाई के कुछ हिस्सों को बर्न कर दिया जाता है। यानि की खत्म कर दिया जाता है।
व्हेल अकाउंट
क्रिप्टो करेंसी के के इकोसिस्टम मे व्हेल अकाउंट्स का बड़ा ही दिलचस्प रोल होता है। व्हेल अकाउंट्स का मतलब होता है कि मार्केट मे मौजूद किसी भी क्रिप्टो कोइन के कुल सर्कुलेशन मे से बड़े हिस्से का शेयर रखते है। उनके पास कॉइन का बड़ा स्टॉक होल्ड होता है।
ऐसे मे अगर कोई निवेशक इन कॉइन सेल करता है तो मार्केट मे क्रिप्टो कॉइन की कीमतों मे गिरावट होने लगती है। लेकिन अगर ये किसी प्लानिंग के अनुसार चलाने लगते है तो इससे मार्केट की कीमतो पर असर होने लगता है।